“दामाद का साथ” #100 शब्दों की कहानी#
त्रिवेदीजी की बड़ी बेटी की शादी हो चुकी , छोटी बेटी की भी सगाई होने ही वाली थी, उनका रिटायरमेंट था करीब । इसी बीच पत्नी एकाएकी सड़क दुर्घटना की शिकार हुई, जिसके कारण पैरों में गंभीर-रूप से संक्रमण हो गया, चिकित्सक पैरों को अलगकर ही उनकी जान बचा पाए ।
त्रिवेदीजी को सगाई के खर्च की चिंता सताने लगी, साथ ही ससुरालवालों को शादी की भी जल्दी । अब पत्नी व्हीलचेयर पर होने के कारण अन्य काम करने से वंचित ,पर दोनों बेटियों ने की मां की सेवा, बेटी के हाथों में हाथ-रख दामाद बोले “सब ठीक-ठाक ही होगा”।