दामन मे आग
खोया सपनो की दुनिया मे
रातों की नींद गंवा बैठा
कल आज की चिन्ता मे
उम्र अपनी बीता बैठा ।
अंधकार के गहरे सायों मे
उजाले का दीपक बुझा बैठा
झूठे आडंबर की चाहत मे
हंसने की कला भुला बैठा ।
प्रेम प्यार के जीवन मे
घृणा का बीज उगा बैठा
अंहकार क्रोध की ज्वाला मे
दामन मे आग लगा बैठा ।
माया के भ्रमित जाल मे
पाप की गठरी भर बैठा
परम ज्ञान की आशा मे
प्रभु शरण मै आ बैठा ।।
राज विग 07.12.2018