दान
मैंने थोड़ा सा दिया
तो मन किया और दूँ
हर भेंट के साथ
मेरा मन खिलता गया
मेरे पैरों में पंख लग गए हों मानो
और मैं झूमकर
हवा में नाचने लगी
एक छोटा सा दान
कब कैसे
मुझे ब्रह्माण्ड से जोड़ गया
मुझे पता ही नहीं चला।
——-शशि महाजन
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