दान गरीब भाई को कीजिए -कुंडलियां -विजय कुमार पाण्डेय
एक कुंडलियां छंद-
दान भ्रात को कीजिए,गर हो दीन -गरीब।
सब दानों में सिद्ध यह ,दानी बने महीप।।
दानी बने महीप, कीर्ति चारों दिश फैले ।
जन्म-जन्म का दोष, दूर हों सारे मैले।।
‘प्यासा’हो ना भान,दान की घटित बात जो।
होय मनोरथ पूर्ण,किये जो दान भ्रात को।।
-‘प्यासा’