दान किसे
हिंदू वीरों,
मत दौड़ो तुम महावीर बन , बौने नेताओ के पीछे।
उनका मकसद धन बटोरना, तुमको रखना है पीछे।।
त्याग तपस्या नहीं पास कुछ, बन बैठे कैसे ये नेता।
फर्जी ज्ञान बघार रहे जो, जैसे कलयुग कर देंगे त्रेता।।
जीवनभर की चोर डकैती, अब नियम बनाए चोरों पर।
बातवीर बन धर्म बताएं, धन मांगे धन बनाए जोरो पर।।
भ्रष्ट बनाए ट्रस्ट धर्म पर, जनता को मूर्ख बनाते हैं।
भावों को देके घाव सदा ये, हम सब को दुख दे जाते हैं।।
हे मित्रों तुम दान न देना, इन जाहिल चोर उच्चकों को।
पेंसिल जूता चप्पल देदो, आस पास गरीब के बच्चों को।
जय हिंद