Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 May 2022 · 1 min read

दाने दाने पर नाम लिखा है

दाने दाने पर नाम लिखा है जिसने जिसको खाया है।
हर दाने पर मोहर लगी है जिसने जिसको उगाया है।।

खाने वाले करोड़ों मिलेगे देने वाला बस एक ही राम।
मिलेगा उसको उतना ही जिसका लिखा उसका नाम।।

मिलेगे उसको उतने दाने जितना उसका है नसीब।
चाहे जितना अमीर हो चाहे जितना हो वह गरीब।।

हर दाना है कीमती उसको कभी न तुम बर्बाद करो।
जितना जिसको मिल जाए उस पर तुम सबर करो।।

दाना चुगता पक्षी भी ,दाना ही खाता हर इंसान भी।
जैसा बोओगे वैसा काटोगे कहते हैं गीता कुरान भी।।

करता हूं प्रभु से प्रार्थना,सब को भोजन दीजिए।
भूखा कोई न सोए जगत में,ऐसी कृपा कीजिए।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 1029 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ram Krishan Rastogi
View all
You may also like:
आक्रोश तेरे प्रेम का
आक्रोश तेरे प्रेम का
भरत कुमार सोलंकी
श्री गणेश स्तुति (भक्ति गीत)
श्री गणेश स्तुति (भक्ति गीत)
Ravi Prakash
व्यंग्य आपको सिखलाएगा
व्यंग्य आपको सिखलाएगा
Pt. Brajesh Kumar Nayak
चाँद से मुलाकात
चाँद से मुलाकात
Kanchan Khanna
जीवन जीते रहने के लिए है,
जीवन जीते रहने के लिए है,
Prof Neelam Sangwan
आप वो नहीं है जो आप खुद को समझते है बल्कि आप वही जो दुनिया आ
आप वो नहीं है जो आप खुद को समझते है बल्कि आप वही जो दुनिया आ
Rj Anand Prajapati
ज़िंदगी जी तो लगा बहुत अच्छा है,
ज़िंदगी जी तो लगा बहुत अच्छा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आग हूं... आग ही रहने दो।
आग हूं... आग ही रहने दो।
अनिल "आदर्श"
11कथा राम भगवान की, सुनो लगाकर ध्यान
11कथा राम भगवान की, सुनो लगाकर ध्यान
Dr Archana Gupta
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
मेरी मां।
मेरी मां।
Taj Mohammad
पुरवाई
पुरवाई
Seema Garg
चेहरा और वक्त
चेहरा और वक्त
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
श्री राम! मैं तुमको क्या कहूं...?
श्री राम! मैं तुमको क्या कहूं...?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
राजा जनक के समाजवाद।
राजा जनक के समाजवाद।
Acharya Rama Nand Mandal
2683.*पूर्णिका*
2683.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गूंजा बसंतीराग है
गूंजा बसंतीराग है
Anamika Tiwari 'annpurna '
उदास आँखों से जिस का रस्ता मैं एक मुद्दत से तक रहा था
उदास आँखों से जिस का रस्ता मैं एक मुद्दत से तक रहा था
Aadarsh Dubey
पंचचामर छंद एवं चामर छंद (विधान सउदाहरण )
पंचचामर छंद एवं चामर छंद (विधान सउदाहरण )
Subhash Singhai
■ परिहास...
■ परिहास...
*प्रणय प्रभात*
यह तुम्हारी नफरत ही दुश्मन है तुम्हारी
यह तुम्हारी नफरत ही दुश्मन है तुम्हारी
gurudeenverma198
हिंदी की भविष्यत्काल की मुख्य क्रिया में हमेशा ऊँगा /ऊँगी (य
हिंदी की भविष्यत्काल की मुख्य क्रिया में हमेशा ऊँगा /ऊँगी (य
कुमार अविनाश 'केसर'
किन्नर व्यथा...
किन्नर व्यथा...
डॉ.सीमा अग्रवाल
"ख़्वाहिश"
Dr. Kishan tandon kranti
बहुत याद आता है वो वक़्त एक तेरे जाने के बाद
बहुत याद आता है वो वक़्त एक तेरे जाने के बाद
Dr. Seema Varma
रंजीत शुक्ल
रंजीत शुक्ल
Ranjeet Kumar Shukla
गौर फरमाएं अर्ज किया है....!
गौर फरमाएं अर्ज किया है....!
पूर्वार्थ
मां
मां
Dheerja Sharma
इस मोड़ पर
इस मोड़ पर
Punam Pande
सच्ची लगन
सच्ची लगन
Krishna Manshi
Loading...