दादी मां की बहुत याद आई
सपने में दी आज दिखलाई
दादी मां की बहुत याद आई
सपनों में जब कभी आती है
जैसे रूबरु दादी हो जाती है
बहुत देर मुझसे बतियाती है
फिर खो जाती ज्यूँ परछाई
दादी मां की बहुत ……….
याद आता उनका समझाना
खुद अपनी ग़लती मनवाना
प्यार भरी फिर डांट लगाना
उसने बस सही राह दिखाई
दादी मां की बहुत…………
किस्से नित नए रोज बताती
संस्कारों की बातें सिखलाती
सुबह शाम वो भजन सुनाती
नेकी की हमें सीख सिखाई
दादी मां की बहुत …………
कर्म की सदा सीख देती थी
सब के ह्रदय में बस बैठी थी
सभी मानते थे जो कहती थी
आपस में हरदम प्रीत बढ़ाई
दादी मां की बहुत………….
दादी मां थी सभी की प्यारी
सारे जगत से थी वह न्यारी
मुश्किलों से कभी नहीं हारी
“विनोद” गर्व से करें बड़ाई
दादी मां की बहुत………….