दादी माँ की अस्तित्व
विषय :- दादी माँ की अस्तित्व
क्या बताऊं , हम उस दादी माँ की अस्तित्व बताने जा रहा हूं जो माँ की अस्तित्व ले ली । दो बहन और एक भाई के बाद दुनिया में आई आनंदनी , वही आनंदनी आनंद का बहन,उसी झोंझीफूलदाई दादी माँ की बात है, आनंदनी के जन्म लेते ही उसकी जीवन रोशन से अंधकार हो गया, वह कैसे ? तो जानिए जन्म लेते ही दो वर्ष की उम्र में ही दिल्ली में आनंदनी की माँ सुधा की मृत्यु हो गई, पिता अरुण दिल्ली में कमाने के लिए रह गया, और दादी अपने बेटे अरूण को छोड़कर अपनी पोती आनंदनी को लेकर गांव आ गई, आनंदनी जन्म से ही विकलांग या उपचार न होने के कारण कमज़ोर हो गई रही , माथा बड़ा पर हाथ पांव पतला पतला , आस-पास के लोग न चलने के कारण उसे लोटिया ,लोटिया कहने लगे यहां तक कि अब ये जिन्दा न रह पायेगी ,मर जायेगी और भी कुछ , ये सब सुनने के बाद भी दादी माँ हार नहीं मानी । तनु वक्ष स्थल से धन्यवाद उस दादी माँ को देना चाहता हूँ , जो वृद्धावस्था में भी आनंदनी को बिना दवा दिए, खुद के मेहनत सरसों तेल से मालिश कर करके आनंदनी को चलाने की प्रयास में लगी रही, और एक दिन ऐसा आया वह चलने फिरने लगी और अपने आसपास के लोगों के काम में वह बेचारी आनंदनी हाथ बढ़ाने लगी, इस तरह आनंदनी अपने गांव में बिना माँ की ही दादी माँ की सहयोग से अपनी अस्तित्व बना ली जो कि अधिकांश बच्चे माँ के रहते हुए भी वह अस्तित्व नहीं बना पाते ।
रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
कविता :- 16(84) दिनांक :- 06/07/2020 सोमवार