*दादी बाबा पोता पोती, मिलकर घर कहलाता है (हिंदी गजल)*
दादी बाबा पोता पोती, मिलकर घर कहलाता है (हिंदी गजल)
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1)
दादी बाबा पोता पोती, मिलकर घर कहलाता है
जहॉं तीन पीढ़ी हर्षातीं, वहॉं स्वर्ग बन जाता है
2)
हमने सीखा है यही सदा, दांपत्य-बोध अति पावन
पति-पत्नी का आजीवन क्या, सात जन्म का नाता है
3)
धन के बल पर कभी उच्चता, नहीं व्यक्ति में आएगी
उज्ज्वल चरित्र का स्वामी ही, उच्च ध्वजा फहराता है
4)
पत्नी-पति का साथ जरूरी, जीवन के सब क्षेत्रों में
यज्ञ-तीर्थयात्रा पति-पत्नी, संग पूर्णता पाता है
5)
सबसे अच्छा समय वही है, किसी युवक का यह जानो
वृद्ध पिता-माता के पद में, जो वह सहज बिताता है
6)
बचकर रहो बुरी आदत से, बुरे संग से यह आती
एक दोष भी यदि पनपा तो, सौ सत्कर्म हराता है
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451