दादा से बात
आमतौर पर बच्चे खेल में मस्त हो जाते हैं। इस दौरान वो किसी की बात पर ध्यान भी कम ही देते हैं। इसी तरह चार साल का इमाद भी खेल रहा था। इस बीच अम्मा ने कहा… ‘बेटा पापा का फोन है, बात कर लो।‘ अम्मा की बात को इमाद अनसुना कर चुका था। उन्होंने एक बार फिर जोर दिया ‘सुनाई नहीं देता! पापा का फोन होल्ड पर हैं। क्या वो इसी काम पर बैठे हैं, जो बार-बार फोन करते ही रहेंगे।’
इस बार इमाद का जवाब किसी भी इंसान को लाजवाब कर देने को काफी था। खेल के बीच से ही उसने तपाक से जवाब दिया…‘क्यों करूं पापा से बात? क्या पापा दादा से बात करते हैं???’ उसकी बात मेरे कानों तक पहुँच चुकी थी। मासूम का यह जवाब सुनकर दशकों पुरानी फिल्में मेरी आंखों के सामने थीं।
@ अरशद रसूल