***” दादाजी का नयनतारा ‘”***
।।ॐ श्री परमात्मने नमः ।।
***” दादाजी का नयनतारा ” ***
बिट्टू ने सोचा चलो आज कुछ हसीन पल दादाजी के साथ बिताते हैं बीते हुए उन अतीत के पन्नों को फिर से दोहराते हुए कुछ सुनी अनसुनी सी बातों ही बातों में बहस छिड़ गई ..! ! दादाजी ने कहा – बिट्टू अब तो तुम बड़े हो गए हो आगे भविष्य में क्या बनने का इरादा है जल्दी से कुछ ऐसा काम करो जिससे मुझे गर्व महसूस हो अब पापा के बाद तुम्हारी जिम्मेदारी सौंपी गई है जिसे पूरा करके दिखलाना है।
ढलती उम्र का तकादा है नजरें कमजोर हो गई है आँखों से कुछ भी दिखाई नहीं देता है एक आँख में मोतियाबिंद दूसरी आँख में ग्लूकोमा के कारण बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता है इस बुढ़ापे में अंधे की लाठी बन जाओ ,शरीर भी कमजोर हो चुका है न जानें कब क्या हो जाए कुछ कहा भी नहीं जा सकता है कोई भरोसा नही है इस जीवन का …..; तुम्हें बड़ा अफसर बनते देख बेहद खुशी महसूस करते हुए मन को तसल्ली देकर सुकून पाना चाहता हूँ और उन हसीन पलों को आँखों से न सही कानों से सुनकर निश्चिन्त होना चाहता हूँ।
इस पर पोते ने तपाक से बोला – दादाजी चिंता क्यों करते हो ….. मैं कुछ बनकर दिखलाऊंगा ,अपने सपनों को हकीकत में मंजिल तक पहुँचने में थोड़ा सा वक्त अभी बाकी है यही एक अटल विश्वास लिए दृढ़ संकल्प शक्ति आशा की किरणें ,उम्मीदों का दामन थाम कर खड़ा हुआ हूँ तब सारी दुनिया मुझ पर गर्व महसूस करेंगी और आपके आशीर्वाद व दुआओं का असर भी अभी बाकी है।
एक दिन आपका आशीष वचनों की मुरादें पूरी होगी और आप मेरे सपनों को पूरा होते देख आपके हाथों द्वारा सिर पर आशीर्वाद भरा हाथ रख ह्रदय से गले लगावोगे उच्च पदों की कुर्सी पर बैठकर अफसर बेटा कहलाऊंगा।
दादाजी ने कहा -जल्दी से अफसर बन जाओ इन नैनो से बात न हो पायेगी लेकिन कानों से ही सुनकर अब भवसागर तर जाऊँगा ……! ! !
ये बातें सुनकर पोते की आँखे भर आईं नैन मूंदकर भीगी पलकों से चुपके से माँ के पास आकर बोला – माँ क्या दादाजी के आँखों का कुछ किया जा सकता है उनके लिए नई आँखों की व्यवस्था कर उनके नैनो की रौशनी वापस ला सकते हैं ताकि मुझे अफसर बनते देख दादाजी बहुत ही खुश होंगे नई दृष्टि से उजाले की ओर किरणों को वापस ले आते हैं।
माँ ने भी भीगी पलकों से बेटे को गले लगाते हुए सिर पर हाथ फेर सहलाते हुए बोली – बेटा तुम बड़े महान हो ,हम सबका अभिमान हो,खानदान का चिराग हो, आने वाली पीढ़ियों की नई पहचान हो ……! ! !
दामन फैलाकर ईश्वर से यही फरियाद करती हूँ कि तुम्हारे सपनो की ख्वाहिशें पूर्ण हो, सफलता तुम्हारे कदम चूमे .तुम मेरे प्यारे बेटे बड़े महान हो ……! ! !
” दादाजी का नयनतारा “ बनकर सुखद भविष्य की स्वपन लोक में चिरकाल तक आने वाली पीढ़ियों की तुम अदभुत मिसाल हो ….! ! !
स्वरचित मौलिक रचना ??
*** शशिकला व्यास ***
#* भोपाल मध्यप्रदेश #*