Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Feb 2017 · 2 min read

“दाखला”

“दाखला”

एक अबला सी नारी।
बेबस बेचारी।।
डरती सहमती सकुचाती।
विद्यालय की ओर जाती।।
पांच बर्ष का मासूम सा नोनिहाल।
जो तन से था बिल्कुल फटेहाल।।
वह विद्यालय के परिसर में खड़ी थी।
तभी एक नई घटना उसके साथ घटी थी।।
जब वह बच्चे का दाखला करने को कहती है।
तभी एक अध्यापिका उससे प्रश्न करती है।।
अध्यापिका ने कहा बच्चे के पिता का नाम बताओ।
उसने कहा माॅ के नाम से काम नहीं चलेगा बताओ।।
अध्यापिका ने कहा बच्चे के पिता का नाम होगा।
तो ही विद्यालय में बच्चे का दाखला होगा।।
ये सुनकर उसके मन के सारे तार झनझना गऐ।
और अगले ही पल सारे हादसे याद आ गए।।
आॅख से छलक गया निर्झर पानी।
वो बता ना पा रही थी अपनी राम कहानी।।
दर्द जैसे डंक चुभा रहे हों।
जैसे उसकी आपबीती कह रहे हों।।
बो बोली कैसे आपबीती सुनाऊं।
इसके कौन से बाप का नाम बताऊं।।
समाज में सभी ने मुझे छला है।
उसके बदले ही ये फल मिला है।।
वो जो दरोगा बड़ी बड़ी मूझों वाला है।
कहलाता कानून का रखबाला है।।
मैने मांगी थी उससे सुरक्षा।
बदले में दे गया ये भिक्षा।।
या वो नेता जो बड़े बंगलों में रहता है।
हमेशा अपने ही विकास की बात करता है।।
उसने भी तो खराब की थी मेरी कहानी।
उसकी भी हो सकती है ये निशानी।।
या वो जो मरीजों का भगवान है।
उसके अंदर भी एक शैतान है।।
उसने कब मुझ दुःखिया का दर्द बांटा था।
उसने भी तो मेरे वदन को काटा था।।
या वो जिसने मेरे बचपन को रोंदा था।
नाम था सुखिया वो था गांव का मुखिया।
जिसे पेट की खातिर मेरे अपनों ने मुझे बेचा था।।
नारी मर्दन के पहले चौराहे पर मुझे खड़ा किया था।।
ये सभी तो इसके बाप हैं।
मेरे जीवन के पाप हैं।।
जीवन भर इनसे लड़ी हूं।
आज देह के बाजार में खड़ी हूं।।
किस पिता का नाम बताऊं।
कैसे मन की पीर सुनाऊं।।
जात बिरादरी का साक्ष ना मुझसे लीजिए।
राम रोमियो रहीम कुछ भी लिख लीजिए।।
इसको इंसान बनाना मेरी चाह है।
मैने देखी उसी वक्त की राह है।।
ये वही वहसी दरिंदा ना बन जाए।
फिर से मेरी जैसी कहानी ना दोहराए।।
बड़ी आस लेकर आपके पास आई हूं।
इसलिए इसे विद्यालय लेकर आई हूं।।
मेरे दुःख दर्द पर ध्यान दीजिए।
बस मेरे बच्चे का दाखला कर लीजिए।

रचयिता – इंद्रजीत सिंह लोधी

Language: Hindi
607 Views

You may also like these posts

गरीबी
गरीबी
पूर्वार्थ
ऐ तक़दीर तू बता ज़रा…..!
ऐ तक़दीर तू बता ज़रा…..!
Pradeep Shoree
वहम और अहम में रहना दोनो ही किसी व्यक्ति के लिए घातक होता है
वहम और अहम में रहना दोनो ही किसी व्यक्ति के लिए घातक होता है
Rj Anand Prajapati
अमृत वचन
अमृत वचन
Dinesh Kumar Gangwar
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ज़ख़्म ही देकर जाते हो।
ज़ख़्म ही देकर जाते हो।
Taj Mohammad
उसकी सुनाई हर कविता
उसकी सुनाई हर कविता
हिमांशु Kulshrestha
पिछले पन्ने भाग 1
पिछले पन्ने भाग 1
Paras Nath Jha
हम तुम और वक़्त जब तीनों क़िस्मत से मिल गए
हम तुम और वक़्त जब तीनों क़िस्मत से मिल गए
shabina. Naaz
इशारों इशारों में ही, मेरा दिल चुरा लेते हो
इशारों इशारों में ही, मेरा दिल चुरा लेते हो
Ram Krishan Rastogi
..
..
*प्रणय*
फितरत की कहानी
फितरत की कहानी
प्रदीप कुमार गुप्ता
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
बड़ा ही अजीब है
बड़ा ही अजीब है
Atul "Krishn"
न्याय निलामी घर में रक्खा है
न्याय निलामी घर में रक्खा है
Harinarayan Tanha
हल्के किरदार अक्सर घाव गहरे दे जाते हैं।
हल्के किरदार अक्सर घाव गहरे दे जाते हैं।
अर्चना मुकेश मेहता
बाते सुनाते हैं
बाते सुनाते हैं
Meenakshi Bhatnagar
"गणेश चतुर्थी की शुभकामना "
DrLakshman Jha Parimal
कुंडलियां
कुंडलियां
Rambali Mishra
सोचा जिनका आज से,कभी न लूँगा नाम
सोचा जिनका आज से,कभी न लूँगा नाम
RAMESH SHARMA
मुक्तक
मुक्तक
sushil sarna
नौलखा बिल्डिंग
नौलखा बिल्डिंग
Dr. Kishan tandon kranti
रामपुर में जनसंघ
रामपुर में जनसंघ
Ravi Prakash
डॉ. ध्रुव की दृष्टि में कविता का अमृतस्वरूप
डॉ. ध्रुव की दृष्टि में कविता का अमृतस्वरूप
कवि रमेशराज
उकसा रहे हो
उकसा रहे हो
विनोद सिल्ला
जलाना था जिस चराग़ को वो जला ना पाया,
जलाना था जिस चराग़ को वो जला ना पाया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरी सिसकी,तेरी हँसी।
मेरी सिसकी,तेरी हँसी।
लक्ष्मी सिंह
सुनो मैथिल! अब सलहेस कहाँ!
सुनो मैथिल! अब सलहेस कहाँ!
श्रीहर्ष आचार्य
2785. *पूर्णिका*
2785. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सीता स्वयंवर, सीता सजी स्वयंवर में देख माताएं मन हर्षित हो गई री
सीता स्वयंवर, सीता सजी स्वयंवर में देख माताएं मन हर्षित हो गई री
Dr.sima
Loading...