दहेज
एक बाप ने बिदा किया अपनी बेटी को
नया जीवन जिने के लिये…..
सपने भविष्य के सजाये,एक बेटी ने भी
अपना पहला कदम ससुराल में रखा,
अपनी खुशी के लिये……
बाबुल का घर पिछे छोड,
वो तुम्हारे साथ आई,
अब यही मेरा घर हैं सोच,
मन ही मन मुस्कुराई…..
लेकीन दहेज के लिये तुने ये क्या किया,
चंद पैसों के लिये अपनी पत्नी को ही जला दिया……
एक छौटीसी खरोच आने पर,
जो घर सर पे उठा लेती थी,
वो पापा की राजकुमारी,
आज आग मैं जल रही थी|
जिस माँ-बाप ने अपने कलेजे का तुकडा
तुम्हे सौंप दीया, उन्हीं से उनके जिने का
सहारा तुमने छिन लिया……
अरे दहेज माँगना ही था,
तो प्यार और विश्वास का माँगते,
पैसे तो भिकारी भी हैं माँगते…..
क्या लौटा सकते हो उस माँ-बाप को उनकी बेटी….
तुम्हारे थोडेसे लालच से जिसके तन पे
गिरी हैं आज मिट्टी….