दहेज रहित वैवाहिकी (लघुकथा)
दहेज रहित वैवाहिकी (लघुकथा)
एक समाचार पत्र में ‘देश में लिंगानुपात की बजह वधुओं भारी की कमी’ शीर्षक से आलेख पढ़ा। लेख को पढ़कर मुझे बहुत चिंता हुई। इस दशा में सुधार हो इस उद्देश्य से मैंने एक मेट्रोमनी (वैवाहिक रिश्ते) साईट खोली और नाम रखा ‘दहेज रहित वैवाहिकी’ उसमें एक विकल्प था ‘दहेज रहित वर चाहिए’ दूसरा विकल्प था ‘दहेज रहित वधु चाहिए’। एक सप्ताह में हुए पंजीकरण का अध्ययन तो पाया, ‘दहेज रहित वर चाहिए’ विकल्प में लगभग में एक लाख पंजीकरण हुए ‘दहेज रहित वधु चाहिए’ विकल्प में रजिस्ट्रेशन का अभी-तक इंतजार है। अब मुझे लग रहा है कि देश वधुओं की कमी से नही दहेज रहित वरों की कमी से जूझ रहा है।
-दुष्यंत ‘बाबा’
मानसरोवर, मुरादाबाद।