दहेज दानव
दहेज दानव
1
दानव एक समाज में , बसा बादलकर वेश
वह सबको दुख दे रहा , फैला पूरे देश
फैला पूरे देश , मर्म उसका वे पाते
निज बेटी के हेतु , ढूंढने जो वर जाते
जिसको आज दहेज , नाम से जाने मानव
कितने घर को लूट , लिया वह भीषण दानव
2
जनमें पुत्री , पुत्र भी , सबके घर दो चार
तब दहेज के हेतु क्यों , आकुल हो संसार
आकुल हो संसार , ब्याह बेटे का करते
करते बेटी ब्याह , आह तूही तो भरते
जो दहेज दे कष्ट , सदा सबके जीवन में
उसका मटियामेंट , करें जो पुनः न जनमें