दस हाइकु
हाइकु
-प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
01. सत्य है जहाँ
प्रभु रहते वहाँ
ढूँढता कहाँ ?
02. छोटा दीपक
तिमिर हरण के
बने द्योतक ।
03. चुल्हे तो नहीं
गरीब के घर में
जलते पेट ।
04. मनुज शक्ति
मिट्टी से रस सुधा
निचोड़ लेती ।
05. खोदते गड्ढे
दूसरों के लिए जो
गिरते स्वयं।
06. प्रीत के धागे
टूटने को डरते
बंधे गाँठों में ।
07. शब्द लहरें
हृदय सागर में
लाती हिलोरें ।
08. माया के जाल
बनते मानव के
जी के जंजाल ।
09. जल की धारा
बह पड़ी है मिट्टी
सौंधी महकी ।
10. वन की रानी
गीत गाती चिड़िया
चोंच में पानी ।
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-साहित्य प्रसार केन्द्र साँकरा
साँकरा, जिला – रायगढ़ (छ.ग.)