दस रावण
पांव गर्म थे
रेत ठंडी
रेत गर्म थी
पांव ठंडे
जब पड़ा बुरा वक्त
वह भले बन गये
जब आया जीवन में
अच्छा समय
वह बुरे बन गये
इंसान के
एक चेहरे के भी
न जाने कितने रंग हैं
आज के कलयुग का
आदमी
जब खरीदने चला
रावण के दस सिर तो
सामने खड़े दस रावण भी
उसके आगे कम
पड़ गये।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001