दस पैसे की टाफी में( गीत )
दस पैसे की टाफी में( गीत )
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घर गिरवीं रख आए बच्चे दस पैसे की टाफी में
(1)
यह अबोध क्या जानें कहते किसे सुरक्षा- ताला है
बड़ी सुरक्षा – दीवारें या एक चाय का प्याला है
इनसे जो चाहे लिखवा लो गर्म एक कप काफी में
घर गिरवीं रख आए बच्चे दस पैसे की टाफी में
(2)
बजा डुगडुगी खूब लुभाने आया दिल का काला था
एक खिलौने के बदले में घर पूरा दे डाला था
इस गलती को कैसे रख दें भूल-चूक की माफी में
घर गिरवीं रख आए बच्चे दस पैसे की टाफी में
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रचयिता: रविप्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451