दशानन हारा
कितना ज्ञान भरा हो अंदर
कितनी होवे शक्ति अपार
कितनी सेना पीछे चलती
कितना होवे स्वर्ण भंडार ।
कितनी जीत मिली हो जग मे
कितना फैला हो साम्राज्य।
कितनी भी यश फैली होवे।
कितना हो व्यक्तित्व विशाल
एक बात सबसे ऊपर है,
आचरण गिरा तो सब बेकार,
नैतिकता सबसे ऊपर है
मान चुका है सब संसार।
बुराई पर अच्छाई भारी
कहता है दशहरा त्योहार ।
दशहरा पर्व की शुभकामनाएँ
विन्ध्यप्रकाश मिश्र विप्र