दशहरे की धूम
थोड़ा सा तू झूम,
दशहरे की हैं धूम,
ले हथियार सब चले पूजने,
गलियों में बच्चे लगे कूदने,
रामलीला का लेते मजा,
हर घर रहता आज सजा,
जीत दशहरा हम घर चल पड़े,
ऐसा लगता था जैसे जंग लड़े,
राह में मिलती ले कलश कन्याएँ,
डाल चिल्लर आगे बढ़ते गए,
नीलकंठ देखने जाया करते थे दूर,
यहाँ वहाँ देखा करते थे पेड़ खजूर,
दिखती थी मित्रों की टोली,
होती थी उनकी मीठी बोली,
अब मित्रों बिन सूने लगते चौक,
बदल गए मस्ती और शौक,
थोड़ा सा तू झूम,
दशहरे की हैं धूम,
।।जेपीएल।।।