दशहरा पर्व
विधा-गजल
देवताओं को हमेशा घर बुलाया कीजिये।
बस अमावस रात में दीपक जलाया कीजिये।
सत असत की जंग में जीतता बस सत्य ही।
सब विकारों पर विजय रथ को चलाया कीजिये।
राम का वनवास होगा खत्म कब यह तो बता।
शत्रुओं पर कर विजय रण में सुलाया कीजिये।
लौट रावण आ रहा प्रत्येक युग मरता नही।
रावणों के परिजनों का दिल रुलाया कीजिये।
“प्रेम” दीपक को जलाता मां यही वरदान दें।
हों प्रकाशित दीप सारे दूर माया कीजिये।
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव,” प्रेम”
सीतापुर