दशहरा पर्व पर कुछ दोहे :
दशहरा पर्व पर कुछ दोहे. . . .
सदियों से लंकेश का, जलता दम्भ प्रतीक ।
मिटी नहीं पर आज तक, बैर भाव की लीक।।
सीता ढूँढे राम को, गली-गली में आज ।
लूट रहे हर मोड़ पर, देखो रावण लाज ।।
मन के रावण के लिए, बन जाओ तुम राम।
अंतस को पावन करो,हृदय बने श्री धाम।।
कहते हैं रावण बड़ा, जग में था विद्वान ।
पर नारी के मोह ने, छीनी उसकी जान ।।
माँ सीता का कर हरण, इठलाया लंकेश ।
मिटा दिया फिर राम ने, लंकापति अवधेश ।।
सुशील सरना / 24-10-23