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12 Aug 2024 · 6 min read

दशरथ ने पहाड़ तोड़ा.. सौहार्द शिरोमणि संत सौरभ तोड़ रहे धर्म का बंधन

दशरथ ने पहाड़ तोड़ा.. सौहार्द शिरोमणि संत सौरभ तोड़ रहे धर्म का बंधन

अब यूपी की बोर्ड की किताबों में छात्र पढ़ रहे है सौरभ की जीवनी

नई दिल्ली
रहें मिल एक सब कैसे, जगे सद्भावना जग की। जगत का धर्म मानवता, बने यह भावना सबकी। करें सब प्रेम आपस में, नहीं कोई लड़ाई हो। बसे यह भाव हर उर में, कि हर मानव तुम्हारा हो..। डा अमिताभ पाण्डेय द्वारा रचित यूपी बोर्ड की कक्षा 12 में पढ़ाई जाने वाली नगीन प्रकाशन पुस्तक नूतन हिन्दी सामान्य/साहित्यिक हिंदी की पुस्तक की यह लाइन गोरखपुर के डॉ. सौरभ पांडेय के जीवन का सार है। यूपी बोर्ड ही नहीं देश विदेश की कई शिक्षण संस्थानों ने डॉ. सौरभ को स्थान दिया है, जिससे विश्व में आज उनकी अलग पहचान है। यूपी के गोरखपुर के छोटे से गांव में जन्मे सौरभ ने एक संत की तरह अपना जीवन ही समाज के नाम कर दिया है।

यूपी बोर्ड द्वारा अधिकृत नगीन प्रकाशन की पुस्तक ने दिया स्थान, किताबों में दर्ज हुई जीवनी

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा अधिकृत पुस्तक नूतन हिंदी नवीन प्रकाशन सर्वेश कांत वर्मा द्वारा संपादित कक्षा 10 और कक्षा 11 और कक्षा 12 में सौरभ के संपूर्ण जीवन पर निबंध पढ़ाया जा रहा है। कक्षा 12 में राम कृपाल राय और सुनीता सिंह सरोवर द्वारा लिखित अपठित गघांश व पद्यांश पढ़ाया जा रहा है। इसके साथ ही डॉ. अमिताभ पांडेय द्वारा लिखित निबंध, डॉ आर सी यादव राम कृपाल राय द्वारा लिखित पद्याश , सुनीता सिंह द्वारा लिखित गद्यांश भी पढ़ाया जा रहा है। डॉ. सौरभ पर अब तक तीन पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं। 2024 से ही इन पुस्तकों में छात्र डॉ सौरभ को पढ़ेंगे। इसके अलावा देश ही नहीं विदेशों में भी कई शिक्षण संस्थानों ने डॉक्टर सौरभ को विशेष स्थान दिया है।

दुश्वारियों का पहाड़ तोड़ने वाले सौरभ को जानिए
माउंटेन मैन दशरथ मांझी ने जोश और जज्बे से पहाड़ का सीना चीर दिया था। वह गया के एक गरीब परिवार में पैदा हुए लेकिन इतिहास ऐसा रचा कि आज पूरा देश उन्हें शेल्यूट करता है। डॉ. सौरभ का जज्बा भी दशरथ मांझी से कम नहीं है। धर्म और जाति में बंटते देश को एक करने के लिए डॉ. सौरभ ने अपना जीवन समाज को समर्पित कर दिया है।
डॉ. सौरभ का जन्म गोरखपुर जनपद में अनोमा नदी के तट पर स्थित भसमा गांव में सोमनाथ पांडेय और गीता देवी के घर हुआ। यह वही नदी है जिसके तट पर महात्मा बुद्ध ने अपने केस का परित्याग किया था। इसी नदी के तट पर कबीर आकर गो लोक के लिए प्रस्थान किए थे। डॉ. सौरभ बचपन से ही काफी विलक्षण रहे। गांव वाले बताते हैं, बचपन में ही सौरभ को पर्यावरण और समाज से बड़ा लगाव रहा है। वह बाल्य अवस्था में भी बच्चों से दोस्ती में कभी उंच नीच का फर्क नहीं किए।

समाज के हर वर्ग के साथ हमेशा खड़े रहे सौरभ
गांव के गरीबों और असहाय परिवार के बच्चों के साथ उनकी दोस्ती वैसी ही रही जैसी सामान्य घरों के बच्चों के साथ रहा। बचपन से ही संत वाली भावना देखकर पिता सोमनाथ पांडेय और मां गीता देवी काफी चिंतित रहती थी। माता-पिता को डर था कि कहीं उनका बेटा वैरागी नहीं हो जाए। लेकिन सौरभ की उम्र के साथ उनके अंदर बढ़ती समाज और देश के प्रति भावना को लेकर माता-पिता को गर्व भी होने लगा। आज सौरभ की सफलता पर घर वालों के साथ समाज को भी गर्व है।

समाज के लिए संत बनने की कहानी
डॉ. सौरभ पांडेय ने खास-बात चीत में कहा कि वह समाज के लिए बने हैं। वह कहते हैं कि हर इंसान को समाज के लिए काम करना चाहिए। समाज और देश दुनिया में अलग पहचान बनाने की कोशिश करनी चाहिए। अगर इंसान समाज और देश के लिए सोचे तो धर्म और जात-पात से दूर हटकर नया समाज स्थापित करेगा। आज के दौर में ऐसे ही समाज की जरुरत है।
डॉ. सौरभ कहते हैं कि आज देश ही नहीं विदेशों में भी उन्हें अलग सम्मान दिया जाता है, इसके बाद भी वह संत की तरह रहकर समाज के बारे में सोचते हैं। डॉ. सौरभ ने सर्वधर्म सद्भाव एवम वसुधैव कुटुंबकम को जीवन आधार सूत्र बनाया है। उन्होंने गोरखपुर में धराधाम इंटरनेशनल न्यास की स्थापना की जो सर्व धर्म को एक करने का काम कर रहा है। उन्हे सौहार्द शिरीमणि भी कहा जाता है।मानद कुलपति की उपाधि से भी विभूषित है।संत सौरभ पर सुनीता सिंह सरोवर द्वारा लिखी गई पुस्तक सौरभ छंद सरोवर पाठको द्वारा काफी सराही जा रही है।
डा.रामकृपाल राय, डा. आर सी यादव एवम डा अमिताभ पाण्डेय द्वारा लिखी रचना भी संत सौरभ के विचार एवं व्यक्तित्व के बारे में प्रकाश डालती है।

धराधाम को बनाया सर्व धर्म का आधार
डॉ. सौरभ कहते हैं कि धर्म के आधार पर बंट रहे समाज को जोड़ने के लिए ही वह धराधाम इंटरनेशनल की स्थापना किए हैं। समाज को संदेश देने के लिए डॉ. सौरभ ने अपनी पत्नी रागिनी के साथ शरीर का दान कर दिया है। शादी में भी पौध रोपण कर यह संदेश दिया कि हर इंसान को पर्यावरण के लिए काम करना चाहिए। वह कहते हैं मेरा जीवन ही समाज के लिए समर्पित हैं, जीते जी तो है ही मौत के बाद भी उनका काम और उनका शरीर समाज के लिए होगा। इसी उद्देश्य से ही उन्होंने अपना और अपनी पत्नी रागिनी का शरीर दान करा दिया है।
सौरभ जी के भाई सविनय, अवनीश , समीर बहन कनक लता एवं बहन कामिनी भी इनके विचार को आगे बढ़ाने में योगदान दे रहे है।
संत सौरभ जी की 8 वर्षीय पुत्री साध्वी श्वेतिमा माधव प्रिया भागवत कथा में में निपुर्णता प्राप्त कर रही है वही संत सौरभ का पुत्र सौराष्ट भी गृह पर ही भगवद गीता का सीख रहा है।

पांच सितारा होटल में भी जमीन पर आसन
डॉ. सौरभ को देश दुनिया में अलग-अलग स्थानों पर भ्रमण करने का मौका मिलता है। इसके बाद भी वह एक संत की तरह रहते हैं। दिल्ली मुंबई का पांच सितारा होटल हो या फिर दुबई का स्वीट गेस्ट हाउस डॉ.अ साैरभ का आसन फर्श पर ही होता है। वह अनाज तक नहीं खाते हैं और फर्श पर ही सोते हैं। डॉ. सौरभ कहते हैं, इसके पीछे बस संत का जीवन जीना और समाज व देश के लिए सेवा करना ही है। वह अपनी पत्नी डॉ. रागिनी के साथ पर्यावरण पर काम करते हैं। वृक्षा रोपण को लेकर उन्होंने नया प्रयोग किया इससे वह समाज को सहयोग कर रहे हैं।
डॉ. सौरभ ने सर्व धर्म सद्भाव – धर्मधाम न्यास की स्थापना कर समाज को सव धर्म सद्भाव भाई चारा और वासधेव कुटुबंकम का संदेश दे रहे हैं। देश विदेश के लाखों लोग इनसे जुड़कर संदेश को अन्य लोगों को तक पहुंचा रहे हैं। डॉ . सौरभ को अब तक सैकड़ाें रास्ट्रीय और अंतर रास्ट्रीय सम्मान मिल चुका है। वह ऐसे ऐसे मंचों पर जा चुके हैं, जहां एक सामान्य परिवार के बच्चे का पहुंचना दशरथ मांझी की तरह पहाड़ का सीना चीरने जैसा है। यही वजह है कि डॉ. सौरभ की जीवनी पर अब तक कई पुस्तकें भी लिखी जा चुकी हैं।

डॉक्टर रत्नेश कुमार पाण्डेय, रत्नाकर तिवारी,
प्रमुख मार्गदर्शक राजीव रंजन तिवारी, डॉक्टर सूर्य प्रकाश
पाण्डेय, डॉक्टर प्रेम प्रकाश, सरदार जसपाल सिंह, गोरख लाल श्रीवास्तव, डॉ यस पी त्रिपाठी, दीप नारायन पाण्डेय, डॉक्टर विनय श्रीवास्तव, जगनैन सिंह नीटू, विजय नारायण शुक्ल,
डॉक्टर एहसान अहमद, डॉक्टर सतीश चन्द्र शुक्ला, रेव्ह संजय
विंसेंट, डॉ. सतनाम देवचाकर (लंदन) गौतम पाण्डेय, त्रियोगी
नारायण पाण्डेय, आशुतोष शुक्ल, पंडित मणिधर, सत्यधर, डॉ.रामकृपाल राय, प्रदीप त्रिपाठी, डॉ. अमिताभ पाण्डेय, केशव
प्रसाद श्रीवास्तव, प्रदीप टेकडीवाल, प्रो. अजीत कुमार जैन आचार्य, कृपा शंकर राय, डॉ. रामकृष्ण शाह प्रतिनिधि सयुक्त राष्ट्र संघ अमेरिका, डॉ. शंभू पवार, डॉ. निक्की शर्मा, डॉ. पूजा
निगम, डॉ. निशा अग्रवाल, एकता उपाध्याय, प्रशांत, राम गिरीश तिवारी, दीपक तिवारी,डॉ. नीरज
गुप्ता, डॉ. आकांक्षा सक्सेना, डॉ. राकेश छोकर, ई. मिन्नत
गोरखपुरी, डॉ. नीरज गुप्ता, सच्चिदानंद ओझा वरिष्ट अधिवक्ता(विधिक सलाहकार), सत्य प्रकाश सिंह, सुनीता सिंह सरोवर , डा निशा अग्रवाल,डॉ करिश्मा मानी, डॉ.अभिषेक, मनोज यादव,जितेंद्र कुमार सिंह,सैयद सादान, सहित देश-विदेश के बहुत से लोग अपने सहयोग की आहुति दे रहे हैं।

मनीष मिश्रा वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर पत्रकार

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