दशरथ जी की चिंता ( शार्दूलविक्रीड़ित छंद
दशरथ जी की चिंता
शार्दूलविक्रीड़ित छंद
19 वर्ण
म स ज, स त त, गुरू ।
आया है अबतो उतार तनमें,
बीती जवानी अरे ।
वैसा जोश नहीं उमंग मनमें
नाहीं भरे हैं डरे ।
मेरे आप गुरू महान महिमा,
चाहें सदा मान हो ।
तो दीजे बतला उपाय,
जिसके आधार संतान हो ।
चिंता की नहिं बात,
राख हिय में राजा अभी धीर को।
रानी गोद भरे विधान,
मिलना है यज्ञ की खीर को ।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
7/11/22