दशमेश गुरु गोविंद सिंह जी
दशमेश गुरु गोविंद सिंह जी
दे निक्के निक्के बच्चे सी
खेड्ण खाण दी उमर सी
पर हौसले बुलंद सी।
औरंगजेब नू तरस ना आया
बच्चेआ नाल झुंड लड़ाया
बाबा फतेह सिंह, बाबा जुझार सिंह
दोनों कल्ले कल्ले बच्चेआ ने
बी बी मुगलाते वार किया
देख के मुगलादि फौज डरी
धोखे नाल फिर वार किया।
बाबा अजीत सिंह, बाबा जोरावर सिंह
नू वजीर खान ने कैद किया
उनको अपनी कचहरी में बुलाया
धर्म परिवर्तन का फरमान सुनाया
दोनों साहिबजादे बोल उठे
जो बोले सो निहाल,
सत श्री अकाल,
के जयकारे गूंज उठे
अपनी जिद्द ते दोनों बच्चे अड़े
वजीर खान तिलमिला उठा।
दोनों बच्चों को दीवार में
जिंदा चिन्नवाने का हुक्म दिया
इन छोटे-छोटे साहिबाबादो
को भी शहीद किया
जैसे ही माता गुजरी ने खबर सुनी
सुनते ही अपने प्राण त्याग दिये।
दशमेश पिता गुरु गोविंद सिंह जी
दे लाल, अमर हुए।
हरमिंदर कौर, अमरोहा
@मौलिक /स्वरचित रचना