दवा दे गया
अहले सुबह, निकल जाता हूं मैं
चैन पहले सा नहीं पाता हूं मैं
चोट दिल पे लगी बोलो क्या हो गया
मेरा मेहबूब मुझसे खफा हो गया..२
ना वो वादे हुए ना वो कसमें रही
मैं भी मैं ना रहा वो भी वो ना रही
खता मुझसे हुआ बोलो क्या हो गया
मेरा अपना ही मुझको दगा दे गया..२
खुद से वादा किया अब इरादा किया
लगा तो ना दोगे ये मुझसे कहा
मैं भी हामी भरी तो बोलो क्या हो गया
मेरा मर्ज ही मुझको दवा दे गया…२
चोट दिल पे लगी बोलो क्या हो गया…..२
स्वरचित गीत:-सुशील कुमार सिंह “प्रभात”