Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Aug 2024 · 1 min read

दलितों जागो अपना उत्थान करो

दलितजनों जागो अपना उत्थान करो
===============================
एकलव्य बन निज बाणों में,ब्रम्ह अस्त्र संधान करो।
दलितों जागो नैन खोलकर,अब अपना उत्थान करो।।

कब तक अत्याचार सहोगे, कब तक अश्रु बहाओगे।
निर्दोषी होकर कब तक ही,अपनी प्राण गँवाओगे।
क्या गलती थी उस बालक की,जिसको शिक्षक ने मारा।
ऐसे जितने आज अधर्मी,मानवता उनसे हारा।
निज हक पाने को आंदोलन,अब तो प्रखर महान करो।
दलितों जागो नैन खोलकर,अब अपना उत्थान करो।।

जाति धर्म का भेद भूलकर,हमको गले लगाते है।
जब चुनाव बेला आती तो,दलितों के घर खाते है।
एक तरफ चोला ओढ़े ये,मानवता का रक्षक बन।
उन दुष्टों को यही बचाते,जो शापित है भक्षक बन।
दुष्ट नपुंसक नेताओं का,नहीं कभी सम्मान करो।
दलितों जागो नैन खोलकर,अब अपना उत्थान करो।।
★★★★★★★★★★★★★★★★★
~ डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर” ✍️✍️✍️

Language: Hindi
1 Like · 41 Views

You may also like these posts

अन्तर
अन्तर
Dr. Kishan tandon kranti
नाइजीरिया
नाइजीरिया
Shashi Mahajan
The enchanting whistle of the train.
The enchanting whistle of the train.
Manisha Manjari
केवट और श्री राम
केवट और श्री राम
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
3671.💐 *पूर्णिका* 💐
3671.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जय गणेश देवा
जय गणेश देवा
Santosh kumar Miri
क्या बात करें
क्या बात करें
Vivek Pandey
आगोश मिले
आगोश मिले
Kunal Kanth
उगें हरे संवाद, वर्तमान परिदृश्य पर समग्र चिंतन करता दोहा संग्रह।
उगें हरे संवाद, वर्तमान परिदृश्य पर समग्र चिंतन करता दोहा संग्रह।
श्रीकृष्ण शुक्ल
सकारात्मकता
सकारात्मकता
Sangeeta Beniwal
मैं अपने बिस्तर पर
मैं अपने बिस्तर पर
Shweta Soni
*लक्ष्मी प्रसाद जैन 'शाद' एडवोकेट और उनकी सेवाऍं*
*लक्ष्मी प्रसाद जैन 'शाद' एडवोकेट और उनकी सेवाऍं*
Ravi Prakash
मुस्कुराहट के ज़ख्म
मुस्कुराहट के ज़ख्म
Dr fauzia Naseem shad
समय/काल
समय/काल
लक्ष्मी सिंह
सिर्फ़ मरते हैं यहाँ ...
सिर्फ़ मरते हैं यहाँ ...
SURYA PRAKASH SHARMA
कभी जब आपका दीदार होगा
कभी जब आपका दीदार होगा
सत्य कुमार प्रेमी
कठिन परिश्रम कर फल के इंतजार में बैठ
कठिन परिश्रम कर फल के इंतजार में बैठ
Krishna Manshi
आज़ाद भारत का सबसे घटिया, उबाऊ और मुद्दा-विहीन चुनाव इस बार।
आज़ाद भारत का सबसे घटिया, उबाऊ और मुद्दा-विहीन चुनाव इस बार।
*प्रणय*
निस्वार्थ प्रेम
निस्वार्थ प्रेम
Shutisha Rajput
इश्क का कारोबार
इश्क का कारोबार
dr rajmati Surana
चोरी की कविताएं पढ़कर
चोरी की कविताएं पढ़कर
Manoj Shrivastava
प्रेम के मनचले स्वर
प्रेम के मनचले स्वर
aestheticwednessday
ना कल की फिकर
ना कल की फिकर
Kanchan Alok Malu
मानक
मानक
Khajan Singh Nain
कसीदे नित नए गढ़ते सियासी लोग देखो तो ।
कसीदे नित नए गढ़ते सियासी लोग देखो तो ।
Arvind trivedi
बेटियों का जीवन_एक समर– गीत
बेटियों का जीवन_एक समर– गीत
Abhishek Soni
खुश हो लेता है उतना एक ग़रीब भी,
खुश हो लेता है उतना एक ग़रीब भी,
Ajit Kumar "Karn"
खुद से ही अब करती बातें
खुद से ही अब करती बातें
Mamta Gupta
"डोली बेटी की"
Ekta chitrangini
मातृ भाषा हिन्दी
मातृ भाषा हिन्दी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
Loading...