*दलाली का फैलता धंधा (हास्य व्यंग्य)*
दलाली का फैलता धंधा (हास्य व्यंग्य)
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किसने सोचा था कि दलाली का धंधा एक दिन इस ऊॅंचाई पर पहुॅंचेगा कि विधायक को मंत्री बनाने का ऑफर दिया जाएगा और खेल करोड़ों से अरब तक पहुंच जाएगा । आप इसे इस ढंग से लीजिए कि क्षेत्र कितना बड़ा होता जा रहा है। व्यवसाय कितना फैल रहा है । दलालों की देश के हर क्षेत्र में आवश्यकता कितनी बढ़ती जा रही है ! धीरे-धीरे अब कोई क्षेत्र दलाली से अछूता नहीं रह गया ।
पहले विधायक का टिकट मिलने के लिए ही दलाल सक्रिय होते थे । अब विधायक बनने के बाद मंत्री बनाने के लिए भी दलाल काम कर रहे हैं । पकड़ में कितने से दलाल आते हैं ? चतुर, चालाक और होशियार दलाल भला सूॅंघकर पहचाने जा सकते हैं ? आपके सामने से निकल जाऍंगे और आपको अनुमान भी नहीं हो पाएगा कि यह दलाल हैं। चिकना चेहरा, भोली-भाली कार्यशैली और अध्यात्म में रचा-बसा भाषण ! इन सबके बाद कोई कैसे पहचान सकता है कि अमुक व्यक्ति दलाल है अथवा कोई संत ? लेकिन जिन्हें परख है वह दलाल को ढूॅंढ लेते हैं और दलाल भी क्या गजब की ऑंखें रखते हैं कि वह अपने ग्राहक को एक बार मिलते ही ताड़ लेते हैं कि इसे हमारी जरूरत है । बस फिर क्या है ! जिसकी पहले समझ में आ गया, वह ऑफर फेंक देता है। कभी दलाल कहता है कि हम तुम्हारा काम करा देंगे। कभी ग्राहक दलाल का हाथ पकड़ लेता है और कहता है कि अमुक कार्य कराना है । बताओ कितने पैसे पकड़ोगे ?
दलाली का धंधा इस बात पर निर्भर करता है कि आप के संपर्क कितने हैं ? किस कोटि के हैं और खाने-खिलाने के मामले में आप कितने एक्सपर्ट हैं ?
कई लोगों को अपने स्वभाव की विशेषताओं के कारण दलाली के क्षेत्र में उतर कर बड़ी सफलता मिली है । उनके पास फाइल तैयार होती है। वह अपने संपर्कों का ब्यौरा प्रमाण सहित ग्राहक के सामने उपस्थित करते हैं। बड़े नेताओं के बड़े पुष्प-हार के भीतर अगर दस-बीस जगह उनकी फोटो खिंची हुई है, तब यह माना जाता है कि आदमी अंदर तक पहुॅंच रखता है । ऐसे लोगों पर विश्वास किया जा सकता है ।
ग्राहक के सामने दलाल पर विश्वास करने के अतिरिक्त और कोई चारा भी नहीं होता। राजनीति में टिकट मिलना और मंत्री बनना, यही दो ऐसी चीजें हैं जो उन्हें ऊपर उठाती हैं । छुटभैया नेता ट्रांसफर-पोस्टिंग के काम में थोड़ा बहुत कमाते रहते हैं। यद्यपि बड़े स्तर के नेता मलाईदार मामलों को अपने हाथ में ही रखते हैं ।
कई बार सारा झगड़ा इसी बात का होता है कि ट्रांसफर-पोस्टिंग का अंतिम अधिकार किसके पास है ? जिसके पास यह अधिकार होता है, उसकी कुर्सी के आसपास दस-बीस दलाल अपना धंधा जमा लेते हैं ।
दलाली का कार्य किसी न्यूनतम शैक्षिक योग्यता का मोहताज नहीं है । जिस तरह मंत्री और विधायक बनने के लिए कोई शैक्षिक योग्यता अनिवार्य नहीं है, उसी तरह एक अच्छे दलाल को राजनीतिक-दलाली में उतरने के लिए किसी शैक्षिक योग्यता की आवश्यकता नहीं पड़ती । बस उसका खादी का कुर्ता-पाजामा अच्छी क्वालिटी का तथा प्रेस किया हुआ होना चाहिए । उसके पास एक विशेष ठसक वाली अदा होनी चाहिए । देखते ही अगले को विश्वास हो जाए कि इस व्यक्ति की जेब में सौ-पचास बड़े-बड़े नेता पड़े रहते हैं । सीधे बड़े-बड़े नेताओं के निवास और कार्यालयों में उसकी पहुॅंच होनी चाहिए । इतने भर से दलाली का धंधा जम जाता है । इंटर में फेल होने के बाद पढ़ाई में समय नष्ट करने के स्थान पर राजनीति में दलाली करना एक अच्छा व्यवसाय है।
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लेखक :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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