दर्पण है व्यवहार
व्यवहार हैं
दर्पण
इन्सान का
यहीं है
संस्कार
जीवन के
होती तारीफ
सब जगह
कुशल व्यहार की
होता सफल
वही जीवन में
बनाते
माता-पिता
कुशल व्यवहार
बच्चों को
जो अपनाता
जितना जीवन में
रहता खुश
जीवनपर्यन्त
जीवन में
व्यवहार है
ऐसा गहना
जो करता
सज्जा
मानव का
होता प्रिय
वह सब का
बुजुर्गों का
यह हैं कहना
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल