” ————————————- दर्पण दिखाते हो ” !!
गालियां देकर हमें , चिंतन दिखाते हो !
खुद देख लो हमें क्या , दर्पण दिखाते हो !!
चढ़ गये ऊंचाई पर , विचार हैं ठहरे !
मंदिरों की ले शरण , टनटन दिखाते हो !!
सारे सयाने छांट , मुखिया बने हो तुम !
हो रहे मदहोश से , हर फन दिखाते हो !!
आड़ औरों की लिये , कर रहे आखेट तुम !
बिजलियाँ उन पर गिरा , गर्जन दिखाते हो !!
जीतना हर हाल में , तय कर लिया जीतो !
सपने सलोने बांट , जन जन दिखाते हो !!
सब आरक्षण पुकारे , कैसे है सम्भव !
पा सके ना मंजिलें , दर्शन दिखाते हो !!
न बखानो ऊंच नीच , दुहाई वोटों की !
क्या दिया है देश को , अर्पण दिखाते हो !!
राज सदियों से किया , औ कितना करोगे !
टोपियां उतरी सर से , चन्दन दिखाते हो !!
बृज व्यास