Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jun 2023 · 1 min read

दर्पण का सच

दर्पण को दोष देना अच्छी आदत नहीं है …..
पहले चित्र अंकित करते हो ,,
फिर उसे देखने से डरते हो …
दर्पण झूठ नहीं बोलते हैं …
दर्पण टूट सकते हैं …
दर्पण फूट सकते है ..
दर्पण रूठते नहीं है ‘
सच ही बोला करते हैं
दर्पण की तरह से टूटना सीखो
दर्पण की तरह से फूटना सीखो
हमेशा अडना नहीं,झुकना सीखो .
हमेशा तनना ,बिना जमीं पर देखे चलना ,
ठोकर का कारण होते है ,,,
दंभ के दर्प ,जीवन के काल सर्प बनते है ,,
मित्र ,दर्पण से कब तक बचते रहोगे ,,,
कब तक कोसते रहोगे ,,,
उस पर कब तक झूट का आवरण ढकते रहोगे ,
कब तक तोड़ते रहोगे दर्पण ,,
टूटने के बाद भी सच बोलेंगे …
अभी एक था फिर कई टुकडो में सच ही बोलेंगे ,,

221 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सतीश पाण्डेय
View all
You may also like:
बल और बुद्धि का समन्वय हैं हनुमान ।
बल और बुद्धि का समन्वय हैं हनुमान ।
Vindhya Prakash Mishra
स्मृति-बिम्ब उभरे नयन में....
स्मृति-बिम्ब उभरे नयन में....
डॉ.सीमा अग्रवाल
सपना
सपना
ओनिका सेतिया 'अनु '
Confession
Confession
Vedha Singh
मेरे हमदर्द मेरे हमराह, बने हो जब से तुम मेरे
मेरे हमदर्द मेरे हमराह, बने हो जब से तुम मेरे
gurudeenverma198
सन्यासी
सन्यासी
Neeraj Agarwal
मिसाल रेशमा
मिसाल रेशमा
Dr. Kishan tandon kranti
दिल तसल्ली को
दिल तसल्ली को
Dr fauzia Naseem shad
राम छोड़ ना कोई हमारे..
राम छोड़ ना कोई हमारे..
Vijay kumar Pandey
अपनी काविश से जो मंजिल को पाने लगते हैं वो खारज़ार ही गुलशन बनाने लगते हैं। ❤️ जिन्हे भी फिक्र नहीं है अवामी मसले की। शोर संसद में वही तो मचाने लगते हैं।
अपनी काविश से जो मंजिल को पाने लगते हैं वो खारज़ार ही गुलशन बनाने लगते हैं। ❤️ जिन्हे भी फिक्र नहीं है अवामी मसले की। शोर संसद में वही तो मचाने लगते हैं।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
इस तरह छोड़कर भला कैसे जाओगे।
इस तरह छोड़कर भला कैसे जाओगे।
Surinder blackpen
मां मेरे सिर पर झीना सा दुपट्टा दे दो ,
मां मेरे सिर पर झीना सा दुपट्टा दे दो ,
Manju sagar
हत्या
हत्या
Kshma Urmila
(7) सरित-निमंत्रण ( स्वेद बिंदु से गीला मस्तक--)
(7) सरित-निमंत्रण ( स्वेद बिंदु से गीला मस्तक--)
Kishore Nigam
गीत// कितने महंगे बोल तुम्हारे !
गीत// कितने महंगे बोल तुम्हारे !
Shiva Awasthi
दिन  तो  कभी  एक  से  नहीं  होते
दिन तो कभी एक से नहीं होते
shabina. Naaz
रोज गमों के प्याले पिलाने लगी ये जिंदगी लगता है अब गहरी नींद
रोज गमों के प्याले पिलाने लगी ये जिंदगी लगता है अब गहरी नींद
कृष्णकांत गुर्जर
दिल का हर अरमां।
दिल का हर अरमां।
Taj Mohammad
दोहे
दोहे
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तूफान आया और
तूफान आया और
Dr Manju Saini
मृगनयनी
मृगनयनी
Kumud Srivastava
क्यो नकाब लगाती
क्यो नकाब लगाती
भरत कुमार सोलंकी
चंद्रयान
चंद्रयान
डिजेन्द्र कुर्रे
Even If I Ever Died
Even If I Ever Died
Manisha Manjari
दोजख से वास्ता है हर इक आदमी का
दोजख से वास्ता है हर इक आदमी का
सिद्धार्थ गोरखपुरी
■ आज का विचार...
■ आज का विचार...
*प्रणय प्रभात*
मैं भी चुनाव लड़ूँगा (हास्य कविता)
मैं भी चुनाव लड़ूँगा (हास्य कविता)
Dr. Kishan Karigar
हो गई तो हो गई ,बात होनी तो हो गई
हो गई तो हो गई ,बात होनी तो हो गई
गुप्तरत्न
अधूरी तमन्ना (कविता)
अधूरी तमन्ना (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
मन वैरागी हो गया
मन वैरागी हो गया
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Loading...