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1 Jun 2023 · 1 min read

दर्पण का सच

दर्पण को दोष देना अच्छी आदत नहीं है …..
पहले चित्र अंकित करते हो ,,
फिर उसे देखने से डरते हो …
दर्पण झूठ नहीं बोलते हैं …
दर्पण टूट सकते हैं …
दर्पण फूट सकते है ..
दर्पण रूठते नहीं है ‘
सच ही बोला करते हैं
दर्पण की तरह से टूटना सीखो
दर्पण की तरह से फूटना सीखो
हमेशा अडना नहीं,झुकना सीखो .
हमेशा तनना ,बिना जमीं पर देखे चलना ,
ठोकर का कारण होते है ,,,
दंभ के दर्प ,जीवन के काल सर्प बनते है ,,
मित्र ,दर्पण से कब तक बचते रहोगे ,,,
कब तक कोसते रहोगे ,,,
उस पर कब तक झूट का आवरण ढकते रहोगे ,
कब तक तोड़ते रहोगे दर्पण ,,
टूटने के बाद भी सच बोलेंगे …
अभी एक था फिर कई टुकडो में सच ही बोलेंगे ,,

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