दर्द
तू दर्द समेटे रहती हैं,
तू मुझसे सब कुछ कहती हैं।
तू मुझको अपना सखा कहे,
तू खुद को मेरी सखी कहे।।
तू भोली भाली प्यारी सी,
तू सबसे प्यारी न्यारी सी।
तू फूलो की एक क्यारी सी,
तू दर्द छुपाए हारी सी।।
तू अपराध बोध मे रहती हैं,
तू डर डर के क्यो कहती हैं।
ललकार भारद्वाज