दर्द
इस दिल पे कोई काबू नहीं रहता ,
मुस्कुराने की कोशिश भी करें ,
तो ये दिल नहीं मानता ,
ग़म छुपाने की लाख कोशिश भी करें ,
तो भी दर्द आँसू बनकर छलक ही जाता है ,
कोई समझ क्यूँ नहीं पाता, हम भी इंसान हैं ,
हम भी दिल रखते हैं , दर्द से ना अनजान हैं ,
ठेस लगती है , तो हमारा दिल जब रोता है ,
आँसुओं का बांध तोड़कर दामन भिगो जाता है ,
भँवर में डूबती उस कश्ती की तरह हम हैं ,
जिसका कोई सहारा नहीं है ,
उन बिन बरसे बादलों की तरह हम हैं ,
जो लौट जाने के लिए ही बने हैं ,
आसमान में इतने सितारे जो हैं ,
उनमें कोई भी सितारा हमारी तक़दीर का नही है ,
इस- क़दर अश्कों में डूबी
ये ज़िंदगी गुज़र जाएगी ,
फ़ना होकर हमारी याद
किसी को ना आएगी।