दर्द
मायूसी को छोड़ मुस्कराना सीख लिया
हमने भी अपने दर्द को छुपाना सीख लिया
दर्द दिल से उठ कर आँखों में नज़र आता था
आंसू बन कर वो सारे आम बह जाता था
उस दर्द को सीने में दबाना सीख लिया
आँखों के रास्ते उसका आना जाना रोक लिया
अब वो सरे आम हमको बदनाम न करेगा
कोई दर्द है मेरे सीने में अब कोई न कहेगा …
मिशा