एहसान फरामोश
एहसां – फरामोश ता -उम्र इस खूबसुरत धोखे के शिकार बने रहते हैं की दुसरों की निस्वार्थ सेवाओं ,उपकारों पर उनका जन्म सिध् अधिकार है और इसी ख्याल से वोह अपने उपकारों व सेवाओं का जी भरकर फायेदा उठाते हैं .दोहन करते हैं और स्वार्थ व लालच. में इंसानियत को भूलकर शोषण भी करने लग जाते हैं वोह यह भूल. जाते. हैं की उनहें कोई देख रहा है .वोह यह भी भूल जाते हैं की उनपर किसी के उपकारों व सेवाओं का कर्ज चढ रहा है जो उनहें कभी ना कभी उतारना पडेगा .इस जन्म में अन्यथा अगले किसी भी जन्म में .जब तक नहीं उतारेगा मुक्ती नहीं मिलेगी .