दर्द
आँसू हैं इन आँखों में,
इन आँसू को सहारा क्या दूँ ।
इक अजीब सा दर्द है सीने में,
इस दर्द को सहारा क्या दूँ।
लवो पे आने वाली हँसी को,
इस क्षण सहारा क्या दूँ।
इक अजीब सा दर्द है सीने में,
इस दर्द को सहारा क्या दूँ।
उदास रहने लगा हूँ ,
इस उदासी को सहारा क्या दूँ।
तू रुला देती है मन को,
इस मन को सहारा क्या दूँ।
इक अजीब सा दर्द है सीने में,
इस दर्द को सहारा क्या दूँ।
इक नाव डूब रही मेरी,
इस डूबती नाव को सहारा क्या दूँ।
इक अजीब सा दर्द है सीने में,
इस दर्द को सहारा क्या दूँ।
-मोहित कुमार