दर्द
दर्द का नाम होता तो बता देती ।
दुनियाँ में जितने दर्द वो सभी अपने हैं ।
आने वाले वक्त में या बीते हुए वक्त में ,
जितने दर्द है , वो सभी अपने हैं।
कैसे बताऊ , इसको यह एक दर्द,
जो जख्मों की दुनियाँ का हैं।
चाहे वो मानवी हो, आतंकवाद या कश्मीर ।
| रिमझिम की बारिश
कभी यादों की हालत नाज़ुक
कभी बनें जंजीर, हाय ये कश्मीर ।
पर्यटन कश्मीर से , कितने बनें वीर ।
कितनो को उपाधि मिला अमर वीर ,
हाय रे कश्मीर ।
लुट – लुट गए।
मिट -मिट गए ।
वादियाँ ही नही तकदीर तेरा ।
दामन से आँचल तक आतंक ।
खैली खून ( रक्त) की होली बसंती I
हर दिशा वीरान ,
चुप हैं मौन आसमाँ | _ डॉ. सीमा कुमारी , बिहार (भागलपुर)