“दर्द”
है दर्द दबे काफी दिल में,
हूँ ठीक यही बस ज़ाहिर है,
है फ़िक्र नहीं तुझको कोई,
तू बेपरवाही में माहिर हैं।।।
कैसे तुझको ये समझाऊँ,
तू लफ़्ज़ों में मेरे शामिल हैं,
आ लौट के फिर से यादों में,
तू प्यार का मेरे साहिल है।।
है दर्द दबे काफी दिल मे,
हूँ ठीक यही बस ज़ाहिर है।।।