दर्द
सोचा था वो खुद से ज्यादा मुझको चाहेगा।
दर्द मुझे होगा आंसू वो छलकायेगा
मेरी हर अनकही बात वो खुद ही समझ जाएगा।
किस बात की सजा मिल रही है मुझे ,मैं आज तक समझ ना सकी
अरमान मेरे दिल के दिल में ही रह गए, बाबुल का घर कया छुटा हम तो खुश रहना ही भूल गए।
ऐ खुदा ऐसा क्या गुनाह हुआ जो मेरी जिंदगी में एक पल भी खुशी का नहीं होता,
मे री आखोँ के आँँसू भी सूख गए, पर तेरे दर्द का सिलसिला खत्म नहीं होता।
तुमने पत्थर का दिल दिया होता, क्योंकि अब इस नाजुक दिल से मुझे दर्द बर्दाश्त नहीं होता।