— दर्द —
दर्द मिलता ही है अपनों से
साक्षात सत्य है ,
झूठलाया नहीं जा सकता
बेशक बनाया हो
आशियाना खून पसीने से
पर दर्द छुपाया
कभी नहीं जा सकता
कर लो चाहे जितना सब के साथ
वक्त आता है जीवन में ऐसा
प्यार और तकरार में दर्द
की दीवार को हटाया नहीं जा सकता
बात भी सही है दोस्तों
मुझ को अपनों ने ही लूटा
गैरों में कहाँ दम था
मेरी कश्ती ही वहां डूबी
जहाँ पर पानी कम था
यह भी तो समझाया नहीं जा सकता
कहते हैं की अपने अपने होते हैं
होते हैं यह सच कहा किसी ने
बस तब तक अपने होते हैं
जब तक आपकी जेब में पैसे होते हैं
इस से इंकार नहीं किया जा सकता
अजीत कुमार तलवार
मेरठ