दर्द ही दर्द
जिंदगी में कितने इम्तेहान होते हैं,
दर्द ही दर्द दिल के मेहमान होते है।
रुकती है जिंदगी गम में उलझकर कभी,
उस वक्त सभी खुशियों से अंजान होते हैं।
मिले जो खुशी तो गम को भुला देते हैं,
इस जहां में ऐसे ही इंसान होते है।
जिंदगी में कितने इम्तेहान होते हैं,
दर्द ही दर्द दिल के मेहमान होते है।
रुकती है जिंदगी गम में उलझकर कभी,
उस वक्त सभी खुशियों से अंजान होते हैं।
मिले जो खुशी तो गम को भुला देते हैं,
इस जहां में ऐसे ही इंसान होते है।