दर्द से दर्द की दवा कीजे
*दर्द की दर्द से ही दवा कीजिए
बात जैसे भी हो बना लीजिए।
इश्क़ किया है तो ख़ाक होंगें,
जिंदगी इश्क में फ़ना कीजिए।
बातों बातों में निकली बात तेरी
कैसे इस मौज़ू को दफा कीजिए।
एक बोसा मिले जो मेरी जबीं पर
बस इतनी इनायत अता कीजिए।
चाहत में ग़र उसे खुदा माना है
सर झुका कर फिर सजदा कीजिए।
मैं तेरे साथ चलूं फलक के पार
अपनी बाहों का बस आसरा दीजिए।*
*सुरिंदर कौर *