दर्द सभक एक सन…….
इ जग मे जे कानय
पीर सभक एक सन…….
दर्द सभक एक सन…….
प्रीति मे टूटल ह्रदय जे
हीर सभक एक सन…….
दर्द सभक एक सन…….
भाग हमर…. हाय रे फूटल
अहाँ जे रूसली, देवो रूसल
कियो हमर ने आओर प्रीतम,
संग अहाँक…. हाय रे छूटल
बिछुरल जे अप्पन प्रीतम सँ,
पीर सभक एक सन…….
दर्द सभक एक सन…….
हाय रे! तोहर मित्र मिलल
संग भेटल न प्रीत बढ़ल
रब सँ इ सिकायत हमर,
जिनगी इ अधिला लगल
दुःख हो वा नोरक धार,
पीर सभक एक सन…….
दर्द सभक एक सन……
मजनू के लैला न होइ
आ ने फरहाद के शीरी
कहि कहि डूमल सब,
की महिवाल, आ की सोनी
राँझा भए जोगी बनल रे,
हीर सभक एक सन…….
दर्द सभक एक सन…….
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