दर्द लफ़ज़ों में
नैन अपने यूँ ही न खोये हैं।
दर्द लफ़्ज़ों में लिख के रोये हैं।।
जागी आँखें गवाही दे देंगी ।
नींद अपनी कभी न सोचे हैं।।
दिल शिकस्ता नहीं हुआ यूँ ही।
बोझ इस ने ग़मों के ढोये है।।
कुछ निशां फिर भी रह गए बाक़ी।
दागे दिल आँसुओं से धोये हैं।।
खार वो बो रहा है बोने दो।
हमने लेकिन गुलाब बोये हैं।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद