दर्द भी शर्मा जाए
है इतना दर्द की दर्द भी शर्मा जाए
इब्ने आदम बता हम बेटियां कहाँ जाएं
इल्जाम किरदार का मुझ पे जो तुम लगाते हो
गोद से छीन के मसली गई कहाँ ज़ाऊँ
मौत को इस तरह जो मौत आ जाएं
यकीन मानो के फिर मौत भी घबरा जाएं
इस तरह से तड़पाया गया मुझे उन सातों दिन
मिलने मुनकिर नकिर आएँ भी तो घबरा जाएं
न दे ऐ रब कभी बेटी किसी को
के माँ मर के दुनियां मे गर जो लाए मुझे
तो घर के आंगन में या जंगल तले
मुझे इस हाल मे देखे तो फिर वो मर जाए
इब्ने आदम बता हम बेटियां कहाँ जाएं
है इतना दर्द की दर्द भी शर्मा जाएं