दर्द पराया देखकर , छलके नयनन नीर ।
दर्द पराया देखकर , छलके नयनन नीर ।
गीत ,गजल ,कविता तभी , होती है गम्भीर ।।
होती है गम्भीर , सत्य का क्रम न टूटे ।
दीन हीन लाचार , कलम से कभी न छूटे ।
दूषित होता काव्य , दिखे जब भय का साया ।
वन्दनीय वह कलम , लिखे जो दर्द पराया ।।
सतीश पाण्डेय