दर्द दीवानी मीरा
हाय, हमरा चारू ओरिया
अंधेर हो रहल बा
अब तअ आजा कन्हैया
बड़ी देर हो रहल बा…
(१)
सुनसान पाके वृंदावनवा
व्याकुल हो जाला ई मनवा
बेर-बेर पापी पपीहा के
कहीं टेर हो रहल बा…
(२)
फिर सावन के महीना आईल
चारू ओर हरियाली छाईल
बाकिर हमरा लगे पतझर के
बसेर हो रहल बा…
(३)
दिन भर के थाकल बटोहिया
लौटे लगलन अपना घरवा
बाकिर कहां हम जाईं
गदबेर हो रहल बा…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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