दर्द को हर्फ हर्फ लिखना छोड़ दिया
दर्द को हर्फ हर्फ लिखना छोड़ दिया
माथे की सिलवटे पढ़ना छोड़ दिया
बंद हो गई है हिचकिया आना अब
उन्होंने जो याद करना छोड़ दिया
तबीयत बिगड़ जाती पास आने से
अब दिल भी धड़कना छोड़ दिया
ईमान डोल जाता देख हसीना को
ईमान भी अब डोलना छोड़ दिया
पा के चंद खुश्बू मदहोश हो जाते
ये फिजा जो महकना छोड़ दिया
एक रात ना गुजरती बगैर जिसके
उस शख्स ने तड़पना छोड़ दिया
ना रही इश्क में उन दिनो सा प्यार
मन ने भी तो मचलना छोड़ दिया
आँख जवाब दे जाती है हर वक्त
इसने पहले सा रोना छोड़ दिया
कोई एक जगह टिक भी ना सका
रवि भी तो फिसलना छोड़ दिया
#_रवि_कुमार_सैनी