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2 Apr 2021 · 1 min read

दर्द के दरिया में

तुम और मैं
हम दोनों
हम सब एक ही हैं
तुम्हारी खुशी का अहसास है
मुझे
तुम्हारे दर्द से गुजरने का
आभास है
मुझे
सूरज की आग में
कोई कुछ ज्यादा जलता है तो
कोई थोड़ा कम लेकिन
जलने से जो होती है
पीड़ा
उसका अनुभव है मुझे
दर्द के दरिया में हम सब
बह रहे हैं
कोई थोड़ा आगे तो
कोई थोड़ा पीछे
कोई मझधार में तो
कोई किनारे
बड़े ही भाग्यशाली होते हैं
वह लोग
जिनके पास पार लगने के लिए
कोई किश्ती होती है और
उन्हें किनारे पहुंचाती है
जब किस्मत साथ नहीं देती तो
ऐसा भी होता है
बिजली ऐसी भी टूटकर गिरती है
किसी कहर की तरह कि
एक लहर आती है और
किश्ती जो किनारे तक
अपने ठिकाने तक
पहुंचने ही वाली होती है को
डूबा देती है और
कई दफा
किस्मत अच्छी हो तो
एक भयावह तूफान की लहर
किश्ती को धक्का देकर
मझधार से बाहर निकालकर
सारी उम्मीद खोने पर भी
किनारे पर सही सलामत पहुंचा
देती है।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
1 Comment · 273 Views
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